Wednesday, March 27, 2013

लम्हा


ये लम्हा बस् यही थम जाये
तू साथ है, मेरे पास है
और क्या चाहिए?
बस् ये लम्हा यही थम जाये...

हाथों मे हाथ है
सांसो मे तुम्हारे बदन कि खुशबू
जुल्फो का घना अंधेरा है
लबो पे तुम्हारे मेरा नाम सजा है
और क्या चाहिए?
बस् ये लम्हा यही थम जाये...

ये तुम्हारा झुठमुठ का रुठना,
मेरे मनाने पर झट से मेरे गले लग जाना
अपने नखरो से मुझे चिढाना
शरारतो से अपनी मेरी नियत आझमाना
और क्या चाहिए?
बस् ये लम्हा यही थम जाये...

आंखे बंद करलू तो रंगीन सपनो कि दुनिया है
एक छोटासा घरोंदा और सामने फुलों कि बाग है
दरवाजे पे मेरा इंतेझार करती तुम हो
गजरा हाथ लिये तुम्हारी ओर भागता मै हू
और क्या चाहिए?
बस् ये लम्हा यही थम जाये...

हो अगर मेरे झिंदगी का ये आखरी पल,
मेरे पलके बंद हो तेरा चेहरा समाये,
खुदा के बदले नाम तेरा हो झुबां पे
कफन नही तेरा दुपट्टा मुझे ओढे
कबर पर मेरी आके आंसू मत बहाना
दिवानगी कि आब्रू रख बस् मुस्कुरा देना
और क्या चाहिए?
बस् वो लम्हा यही थम जाये...