ये माहोल अब कुछ अनजाना सा लगता है,
कारवा तेरे बिन अब सुना सा लगता है...
पत्तो कि सरसराहट मे कदमो कि आहट मेहसूस करता हू ,
जब कभी आंख लगे, तुम्हारे ख्वाबो से बेचैन होता हू...
छज्जो कि मुलाकातो मे जो लबो से शबाब पिया था,
तो अब जुदाई का जहर हलक से उतरता नही...
यादो कि किताब के हर पन्ने पे तुम्हारा नाम लिखा है,
उसे कलमा समझकर रोजाना सजदा करता हू मै...
हर सांस मे तुम्हे याद करते है, तो हिचकियो से बेजार होगे तुम
कम्बख्त! हमे हिचकी नही आती इस बात से बेकरार है हम...
कुबूल है.....
मारे जाने के हि काबिल थे हम, तुम्हारे गुन्हेगार जो बन बैठे
पर मारने का तरीका जो अपनाया तुमने, गम उस बात का ज्यादा है...
यू बीच सफर मे अकेला छोडना था तो साथ आये हि क्यो?
दिल तोडना था,तो उसे खुशियो से गुदगुदाया हि क्यो?...
तुम साथ नही, तो बहोत अकेला हो गया हू मै,
बिन राधा, भक्तो कि भीड मे फसा शाम हू मै...
और क्या बताये हाल-ए-जिंदगी? बस यही कि....
ये माहोल अब कुछ अनजाना सा लगता है,
कारवा तेरे बिन अब सुना सा लगता है.....
N.B.:- Dedicated to Zishan Syed & Shriharsh Khedkar.... My mentors in these sorts of matters :-p
कारवा तेरे बिन अब सुना सा लगता है...
पत्तो कि सरसराहट मे कदमो कि आहट मेहसूस करता हू ,
जब कभी आंख लगे, तुम्हारे ख्वाबो से बेचैन होता हू...
छज्जो कि मुलाकातो मे जो लबो से शबाब पिया था,
तो अब जुदाई का जहर हलक से उतरता नही...
यादो कि किताब के हर पन्ने पे तुम्हारा नाम लिखा है,
उसे कलमा समझकर रोजाना सजदा करता हू मै...
हर सांस मे तुम्हे याद करते है, तो हिचकियो से बेजार होगे तुम
कम्बख्त! हमे हिचकी नही आती इस बात से बेकरार है हम...
कुबूल है.....
मारे जाने के हि काबिल थे हम, तुम्हारे गुन्हेगार जो बन बैठे
पर मारने का तरीका जो अपनाया तुमने, गम उस बात का ज्यादा है...
यू बीच सफर मे अकेला छोडना था तो साथ आये हि क्यो?
दिल तोडना था,तो उसे खुशियो से गुदगुदाया हि क्यो?...
तुम साथ नही, तो बहोत अकेला हो गया हू मै,
बिन राधा, भक्तो कि भीड मे फसा शाम हू मै...
और क्या बताये हाल-ए-जिंदगी? बस यही कि....
ये माहोल अब कुछ अनजाना सा लगता है,
कारवा तेरे बिन अब सुना सा लगता है.....
N.B.:- Dedicated to Zishan Syed & Shriharsh Khedkar.... My mentors in these sorts of matters :-p